कुछ यक़ीं कुछ गुमान दे मौला हाथ दे आसमान दे मौला ख़ुश्क पेड़ों की आख़िरी ख़्वाहिश हम पे कोई मचान दे मौला हाथ ख़ाली न लौट पाए कोई दिल की ऐसी दुकान दे मौला बात करनी है मुझ को जिद्दत की एक ताज़ा बयान दे मौला मुझ को वापस ज़मीं बुलाती है अज़्म दे आसमान दे मौला बादलों से बरस रही है आग धूप का साएबान दे मौला ख़ौफ़-ए-मंज़िल नहीं है 'जौहर' को सिर्फ़ साथी जवान दे मौला