जिस जगह आप आते रहते हैं वाँ से दुख सारे जाते रहते हैं दिल भी लाहौर बन गया अब तो लोग याँ आते-जाते रहते हैं तेरी बातों को याद कर के हम आज भी मुस्कुराते रहते हैं ये तुम्हें याद करने का ढब है नाम लिख कर मिटाते रहते हैं तेरी तस्वीर रखते हैं आगे सब्र को आज़माते रहते हैं औरों पर मेहरबान क्यों हैं वो मुझ पे क्यों ज़ुल्म ढाते रहते हैं दोस्त तो दोस्त होते हैं 'नाक़िर' दोस्त मिलते मिलाते रहते हैं