क्या दुख है मेरा यारो क्या ग़म है क्या बताऊँ ये आँख किस वजह से अब नम है क्या बताऊँ बद-हाल कर चुकी है मेरी उदासी मुझ को ये जिस्म किस क़दर अब बे-दम है क्या बताऊँ मैं क़हक़हे लगाता तो हूँ मगर ऐ यारो इन क़हक़हों में क्या कुछ मुबहम है क्या बताऊँ दिलकश है यूँ तो अब्र-ए-बाराँ सी आँख मेरी दिल में मगर ख़िज़ाँ का मौसम है क्या बताऊँ क्यों ख़्वाहिशें न पाले इंसान अपने दिल में इस को भी जुस्तुजू-ए-दम-ख़म है क्या बताऊँ मेरा भी वक़्त 'नाक़िर' आएगा एक दिन पर तक़दीर का सितारा मद्धम है क्या बताऊँ