जिस पर जबीं झुकाई थी वो दर तलाश कर जिस घर को तू ने छोड़ा है वो घर तलाश कर चाँदी न सोना हीरा न गौहर तलाश कर उक़्बा में काम आए वो ज़ेवर तलाश कर चाक़ू न सैफ़ बरछी न ख़ंजर तलाश कर जो हो सके तो अम्न का मंज़र तलाश कर कहने पे तेरे माँ को भला कैसे छोड़ दूँ तू ऐसा कर कि दूसरा शौहर तलाश कर परदेस में सुकून किसे मिलता है 'हिलाल' दिल का सुकून अपने ही घर पर तलाश कर