जिसे देखा तिरा जोया है प्यारे तुझी को ढूँढने खोया है प्यारे क़सम है दीदा-ए-गिर्यां की मुझ को कि दुनिया आलम-ए-रोया है प्यारे निहाल-ए-आह होगा दाना-ए-अश्क ऊगेगा वो जो कुछ बोया है प्यारे तुझे दिल दे के मैं ने आज़माया वो सीखा जिस ने कुछ खोया है प्यारे किसी के कान भरने पर न रख ध्यान हर एक मुँह में ज़बाँ गोया है प्यारे मैं जागा शब सर-ए-गेसू में वर्ना जिसे काला डसे सोया है प्यारे मिरा दिल जल-बुझा शब से यहाँ कूँ चराग़-ए-मुर्दा पर रोया है प्यारे नज़ारा कब किया उस चश्म-ए-तर ने अबस दामन तिरा धोया है प्यारे मिला दो लब कहाँ का आब-ए-हैवाँ ख़िज़र का रास्ता खोया है प्यारे कफ़न अपने 'नसीम'-ए-कुश्ता का सूंक हर एक बर्ग-ए-गुल बोया है प्यारे