जो आसमाँ सा हमारी नज़र में रहता है वो कुछ धुआँ सा हमारी नज़र में रहता है उसे चिढ़ाने लगा है वो आइना लेकिन अभी जवाँ सा हमारी नज़र में रहता है हमें तो अब भी नहीं उस से कुछ गिले शिकवे वो क्यों रुवाँसा हमारी नज़र में रहता है कमी तुम्हारी बहुत ही यहाँ पे खलती है जो कारवाँ सा हमारी नज़र में रहता है ठहर गया है जो पलकों में आँसुओं की तरह वो बन के जाँ सा हमारी नज़र में रहता है