जो भी सीखा किताबों से बताओ अब चलो ये कारवाँ आगे बढ़ाओ अब भला कब तक सहोगे ज़ुल्म चुप रह कर भरो हुँकार आवाज़ें उठाओ अब मोहब्बत से करो चारागरी दिल की दिलों से नफ़रतें मिल कर मिटाओ अब तरस खाओ नहीं बस हाल पर मेरे ये लाज़िम है गले से भी लगाओ अब अना का गर नहीं है मसअला कोई तो दो आवाज़ और मुझ को बुलाओ अब