जो दुखी को दुखी समझते हैं हम उन्हें आदमी समझते हैं हक़ को तस्लीम कर के साथ न दे हम उसे बुज़दिली समझते हैं प्यार इख़्लास को मोहब्बत को लोग सौदागरी समझते हैं हम हैं वाबस्ता-ए-हबीब-ए-ख़ुदा इस को ख़ुश-क़िस्मती समझते हैं कामयाबी उन्हीं को मिलती है वो जो अपनी कमी समझते हैं हौसला-मंद हैं 'सदा' वो लोग जो ग़मों को ख़ुशी समझते हैं