कोई जब तक बा-ख़ुदा मिलता नहीं आदमी को रास्ता मिलता नहीं दिल के अंदर झाँक कर देखो ज़रा कौन कहता है ख़ुदा मिलता नहीं हैं नज़र में सैकड़ों चेहरे मगर फूल सा कोई खिला मिलता नहीं ज़ेहन के सारे दरीचे बंद हैं दिल का दरवाज़ा खुला मिलता नहीं किस क़दर उलझी हुई है ज़िंदगी डोर का कोई सिरा मिलता नहीं सर तो देखे हैं तिरे दर पर झुके दिल मगर कोई झुका मिलता नहीं हर दवा मिलती है सुनता हूँ मगर मरहम-ए-ज़ख़्म-ए-सदा मिलता नहीं ऐ 'सदा' इतने ग़मों के बावजूद आँख में आँसू भरा मिलता नहीं