जो गुज़री मुझ पे मत उस से कहो हुआ सो हुआ बला-कशान-ए-मोहब्बत पे जो हुआ सो हुआ मबादा हो कोई ज़ालिम तिरा गरेबाँ-गीर मिरे लहू को तू दामन से धो हुआ सो हुआ पहुँच चुका है सर-ए-ज़ख़्म दिल तलक यारो कोई सुबू कोई मरहम रखो हुआ सो हुआ कहे है सुन के मिरी सरगुज़िश्त वो बे-रहम ये कौन ज़िक्र है जाने भी दो हुआ सो हुआ ख़ुदा के वास्ते आ दरगुज़र गुनह से मिरे न होगा फिर कभू ऐ तुंद-ख़ू हुआ सो हुआ ये कौन हाल है अहवाल-ए-दिल पे ऐ आँखो न फूट फूट के इतना बहो हुआ सो हुआ न कुछ ज़रर हुआ शमशीर का न हाथों का मिरे ही सर पे ऐ जल्लाद जो हुआ सो हुआ दिया उसे दिल ओ दीं अब ये जान है 'सौदा' फिर आगे देखिए जो हो सो हो हुआ सो हुआ