जो कुछ है छुपी दिल में जो ज़ेह्न के अंदर है वो बात बहर-सूरत चेहरे से उजागर है पत्थर की तरह जुमले मत फेंक मिरी जानिब बोसीदा बहुत मेरे एहसास की चादर है लाज़िम है पहन रक्खें ख़ुद अपनी हिफ़ाज़त को तलवार तअ'स्सुब की लटकी हुई सर पर है वो मुझ से ख़याल अपने पोशीदा नहीं रखता दुश्मन ही सही लेकिन अहबाब से बेहतर है तस्कीन की बाइ'स है प्यासे के लिए 'शादाँ' इक बूँद ही पानी की दरिया के बराबर है