जो लुत्फ़-ए-मय-कशी है निगारों में आएगा या बा-शुऊर बादा-गुसारों में आएगा वो जिस को ख़ल्वतों में भी आने से आर है आने पे आएगा तो हज़ारों में आएगा हम ने ख़िज़ाँ की फ़स्ल चमन से निकाल दी हम को मगर पयाम बहारों में आएगा इस दौर-ए-एहतियाज में जो लोग जी लिए उन का भी नाम शोबदा-कारों में आएगा जो शख़्स मर गया है वो मिलने कभी कभी पिछले पहर के सर्द सितारों में आएगा