न लगा ले गए जहाँ दिल को आह ले जाइए कहाँ दिल को मुझ से ले तो चले हो देखो पर तोड़यो मत कहीं मियाँ दिल को आज़मा और जिस में चाहे तू सब्र में कर न इम्तिहाँ दिल को यूँ तो क्या बात है तिरी लेकिन वो न निकला जो था गुमाँ दिल को रख न तू अब दरेग़ नीम-निगाह मार मत देख नीम-जाँ दिल को आह क्या कीजे याँ बनाया है दिल-गिरफ़्ता ही ग़ुंचा साँ दिल को मर गया पिस गया न की पर आह आफ़रीं ऐसे बे-ज़बाँ दिल को दुश्मनी तू ही इस से करता है दोस्त रखता है इक जहाँ दिल को मेहरबानी तो की न ज़ाहिर में रखिए बारे तू मेहरबाँ दिल को लीजिएगा न लीजिएगा फिर देखिए तो सही बुताँ दिल को आज़माना कहीं न सख़्ती से देखियो मेरे ना-तवाँ दिल को तू भी जी में उसे जगह दीजो मंज़िलत थी 'असर' के हाँ दिल को