जो मेरी आँख से उस जिस्म में दाख़िल हुई होगी वो लड़की फिर मिरे सीने में जा कर दिल हुई होगी वो मेरी जान-ओ-दिल की कैफ़ियत से ख़ूब वाक़िफ़ है वो कितनी बार मेरी रूह में शामिल हुई होगी न जाने कितने बदले होंगे उस ने पैरहन अपने तो फिर आख़िर वो मेरे इश्क़ के क़ाबिल हुई होगी मिरी आँखों का सन्नाटा भी कुछ तो बोलता होगा वो लड़की सुन न पाई इस क़दर ग़ाफ़िल हुई होगी पलट कर देखना और देख कर आँसू बहा देना उसे जाने में मुझ को छोड़ कर मुश्किल हुई होगी मोअ'त्तर शाम होगी और महकती हर सहर उस की तिरी ज़ुल्फ़ों की ये ख़ुशबू जिसे हासिल हुई होगी अँधेरों में किसी को कुछ नज़र आता नहीं तो फिर अँधेरों में सितम की रौशनी शामिल हुई होगी हमें तो डूब मरने के लिए है चुल्लू-भर पानी किसी के वास्ते मौज-ए-बला साहिल हुई होगी मुझे इस दौर के हालात से लगता नहीं 'अर्पित' किसे इस ज़िंदगी में ज़िंदगी हासिल हुई होगी