कल तक जो इंतिज़ार था वो भी नहीं रहा इक ही तो मेरा यार था वो भी नहीं रहा थोड़ा बहुत जो प्यार था वो भी नहीं रहा इक शख़्स बे-क़रार था वो भी नहीं रहा जीने की एक उमीद थी वो भी नहीं रही जिस दर्द से क़रार था वो भी नहीं रहा ऐसी चली हवाएँ कि सब कुछ बिखर गया इक पेड़ साया-दार था वो भी नहीं रहा अफ़्साने की सियाही से सब कुछ बदल दिया ख़्वाबों पे इख़्तियार था वो भी नहीं रहा जो मौसमों की तरह बदलता था रंगतें और आमद-ए-बहार था वो भी नहीं रहा होता था अपने बीच मोहब्बत का लेन-देन बरकत का कारोबार था वो भी नहीं रहा प्यासी बहुत थी हसरतें लो आज मर गईं बारिश का इंतिज़ार था वो भी नहीं रहा 'अरमान' वो ख़याल मिरी जाएदाद था इस फ़िक्र में निखार था वो भी नहीं रहा