जो मिल गया वो खाना दाता का नाम जपना इस के सिवा बताऊँ क्या तुम से काम अपना रोना तो है इसी का कोई नहीं किसी का दुनिया है और मतलब मतलब है और अपना ऐ बरहमन हमारा तेरा है एक 'आलम हम ख़्वाब देखते हैं तू देखता है सपना ये धूम-धाम कैसी शौक़-ए-नुमूद कैसा बिजली को दिल की सूरत आता नहीं तड़पना बे-इश्क़ के जवानी कटनी नहीं मुनासिब क्यूँकर कहूँ कि अच्छा है जेठ का न तपना