जो नासेह मिरे आगे बकने लगा मैं क्या करता मुँह उस का तकने लगा मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा बदन छू गया आग सी लग उठी नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा रक़ीबों ने पहलू दबाया तो चुप मैं बैठा तो ज़ालिम सरकने लगा जो महफ़िल में 'अकबर' ने खोली ज़बाँ गुलिस्ताँ में बुलबुल चहकने लगा