जो नीश-ए-ग़म से बे-परवा न होगा तुम्हारा चाहने वाला न होगा जो तेरी याद में आँसू बहेगा वो जानाँ गौहर-ए-यक-दाना होगा हसीन-ओ-मह-जबीं होंगे जहाँ में मगर काफ़िर अदा तुझ सा न होगा है तू पर्दे में और शोर इक जहाँ में ये पर्दा जब उठा फिर क्या न होगा तड़प जिस दिल में यज़्दाँ की न होगी तो अहरीमन का वो काशाना होगा गुलिस्ताँ आज सरमस्त-ए-नवा है चमन में जल्वा-ए-जानाना होगा न हो शाइ'र जो शम-ए-बज़्म-ए-हस्ती जहाँ में इश्क़ का जल्वा न होगा न होंगे हम नवासंज-ए-बहाराँ तो गुलज़ार-ए-जहाँ वीराना होगा न छेड़ें हम अगर तार-ए-रग-ए-जाँ नवा-ए-ज़िंदगी पैदा न होगा रुख़-ए-ज़ेबा की तस्वीर-ए-ख़याली तिरे 'नाज़िर' का ये नज़राना होगा