जुदाई की घड़ी है और क्या है मोहब्बत रो रही है और क्या है तुम्हारा हुस्न सोना बन गया है सो चाँदी कट रही है और क्या है मोहब्बत की कमाई हैं ये आँसू तरक़्क़ी हो रही है और क्या है कल इक रस्सी भी अपने साथ लाना जुदाई ख़ुद-कुशी है और क्या है ग़ज़ल में जो सुनाई दे रही है वो मेरी ख़ामोशी है और क्या है उठाया आज जा कर फ़ोन उस ने बिगड़ती शय बनी है और क्या है