जुनूँ की राह में पहले दर-ए-जानाना आता है फ़राग़त है फिर इस के बाद ही वीराना आता है ये दिल की बात है और बात ये दिल ही समझता है हमारे पास अक्सर चल के ख़ुद मय-ख़ाना आता है करो हर गाम पर सज्दे मोहब्बत का तक़ाज़ा है बहुत नज़दीक है और यार का काशाना आता है हुई है कारगर तरकीब मेरे दिल की ख़्वाहिश की मुझे बीमार सुन कर कोई बेताबाना आता है लगाती है गले से शम्अ' उस को मैं समझता हूँ फ़ना हो कर बक़ा के रंग में परवाना आता है शफ़क़ से मय बरसती है अजब गुल-रंग है आलम नज़र में मेरी सूरज सूरत-ए-पैमाना आता है सुख़न है मो'तबर तेरा 'सुहैल' उस ने कहा मुझ से क़लम से तेरे अक्सर शेर उस्तादाना आता है