जुनूँ में अब वो अफ़्ज़ाइश नहीं है ज़ुलेख़ा में भी ज़ेबाइश नहीं है तुम अपना इश्क़ अपने पास रक्खो मिरी बाँहों में गुंजाइश नहीं है मोहब्बत पाक है मेरी यक़ीं कर हवस की कोई आलाइश नहीं है मिरी जाँ इश्क़ की सरहद न पूछो ज़मीन-ए-दिल की पैमाइश नहीं है मोहब्बत एक फ़ितरी शय है जानाँ ये मेरे दिल की पैदाइश नहीं है ज़बाँ तेरी मुझे चाहे है लेकिन निगाहों में वो फ़रमाइश नहीं है जवानो मेरी बस इक बात सुन लो जुनूँ में कोई आसाइश नहीं है जहान-ए-दिल के हर गोशे में 'काशिफ़' परेशानी है पैराइश नहीं है