जुनूँ में 'अक़्ल की तंज़ीम करने लगता हूँ मैं अपनी ज़ात को दो-नीम करने लगता हूँ मैं ख़ुद को पहले तो अच्छे से करता हूँ मुर्दा फिर अपनी लाश की तज्सीम करने लगता हूँ सँवार लेता हूँ जब मत्न-ए-जाँ की नोक-पलक कुछ उस में और भी तरमीम करने लगता हूँ मैं ख़ुद को देखता हूँ और भी हिक़ारत से जब अपना मर्तबा तस्लीम करने लगता हूँ