जुनून-ए-इश्क़ किसी को भी यूँ न रास आए वो मेरे पास तो आए मगर उदास आए जिसे हयात किसी रुख़ से भी न रास आए किसी के पास न जाए हमारे पास आए वहाँ से जल्द गुज़र जाएँ रहरवान-ए-हयात जहाँ भी राह में कोई मक़ाम-ए-यास आए फ़िराक़-ओ-वस्ल की रूदाद मुख़्तसर ये है कभी वो पास से गुज़रे कभी वो पास आए कुछ ऐसे लोग भी देखे जो बज़्म-ए-जानाँ में उदास उदास गए और उदास उदास आए ये इज़्तिराब नहीं ने'मत-ए-मुसलसल है ख़ुदा करे कोई आलम मुझे न रास आए किसी ने एक इशारे को भी नहीं समझा हुज़ूर दोस्त बहुत से अदा-शनास आए ग़म-ए-हयात-ओ-ग़म-ए-दहर बख़्शने वाले इक ऐसा ग़म भी अता कर जो दिल को रास आए अदब में 'कैफ़' का दम भी बहुत ग़नीमत है मुहाल है कि अब ऐसा सुख़न-शनास आए