जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ हयात-ए-बे-ख़बर है और मैं हूँ मिटा कर दिल निगाह-ए-अव्वलीं से तक़ाज़ा-ए-दिगर है और मैं हूँ कहाँ मैं आ गया ऐ ज़ोर-ए-परवाज़ वबाल-ए-बाल-ओ-पर है और मैं हूँ निगाह-ए-अव्वलीं से हो के बर्बाद तक़ाज़ा-ए-दिगर है और मैं हूँ मुबारकबाद अय्याम-ए-असीरी ग़म-ए-दीवार-ओ-दर है और मैं हूँ तिरी जमइय्यतें हैं और तू है हयात-ए-मुंतशर है और मैं हूँ कोई हो सुस्त-पैमाँ भी तो यूँ हो ये शाम-ए-बे-सहर है और मैं हूँ निगाह-ए-बे-महाबा तेरे सदक़े कई टुकड़े जिगर है और मैं हूँ ठिकाना है कुछ इस उज़्र-ए-सितम का तिरी नीची नज़र है और मैं हूँ 'फ़िराक़' इक एक हसरत मिट रही है ये मातम रात भर है और मैं हूँ