कभी काँटों ने यूँ छीली हवाएँ हुईं कुछ और नोकीली हवाएँ सुनहरी धूप ओढ़े नाचती हैं मिरे आँगन में चमकीली हवाएँ मिरी चुनरी सजाती हैं धनक से गुलाबी कासनी नीली हवाएँ अजब है फूलती सरसों का जादू हरे रस्ते चलें पीली हवाएँ शुमाली खिड़कियों से झाँकती हैं दिसम्बर की ये बर्फ़ीली हवाएँ ख़िज़ाँ पत्तों को लेने आ रही है हुई हैं ख़ौफ़ से पीली हवाएँ ये इंसानी करम का फल हैं शायद धुआँ-आलूद ज़हरीली हवाएँ सुलग उठे हैं मौसम तिश्नगी के बदन छूने लगीं गीली हवाएँ गए सावन की यादों से लिपट कर चली आई हैं कुछ सीली हवाएँ