कभी तो आते वो बाला-ए-बाम कह देना कभी तो हम से भी करते कलाम कह देना ज़माना-साज़ों से अल्लाह बस बचाए मुझे ग़ज़ब हुआ मिरा इतना कलाम कह देना ये कोई बात है हँस हँस के तंज़ से ज़ालिम जो मुँह में आए मुझे बे-लगाम कह देना मज़ा तो जब है कि चुपके से भी न पी वाइज़ हमें भी आता है झट से हराम कह देना लगाए आस हूँ कब से मैं नामा-बर के लिए मिले जो राह में मेरा सलाम कह देना सबा करम हो ये 'दीवान' पर ख़ुदा के लिए न कुछ सही तो फ़क़त इक सलाम कह देना