कभी तो इश्क़ में उन के सदाक़त आ ही जाएगी कभी तो उन के दिल में मेरी चाहत आ ही जाएगी अभी तो मेरे अरमाँ ख़ून के आँसू बहाते हैं कभी तो दिल के उन ज़ख़्मों को राहत आ ही जाएगी मिरे गुलशन का हर इक फूल मुरझाया हुआ सा है कभी कलियों के लब पर मुस्कुराहट आ ही जाएगी ये डर है बे-रुख़ी का वो गिला शिकवा न कर बैठें किसी दिन उन के होंटों पर शिकायत आ ही जाएगी अभी वो आज़माते हैं उन्हें कुछ न कहो 'रिज़वी' किसी दिन उन की चाहत में क़यामत आ ही जाएगी