कभी उतरें अगर पोशाक के रंग फ़लक देखेगा मेरी ख़ाक के रंग बड़ी मुश्किल में है अब ये ज़मीं-ज़ाद जुदा कर ख़ाक से अफ़्लाक के रंग कहीं देखो इज़ाफ़ी कुछ नहीं है बहुत फेंके हैं उस ने ताक के रंग कहानी है कोई दरिया में ज़िंदा लब-ए-दरिया अजब हैं ख़ाक के रंग ये क़िस्सा ही अगर है गुमरही का तो क्या चमकें यहाँ इदराक के रंग फ़लक ने फ़ैसला कुछ कर लिया है कि मद्धम पड़ रहे हैं ख़ाक के रंग वही है हाल मेरे दिल का 'ख़ावर' वही है दीदा-ए-नम-नाक के रंग