ख़्वाब ले कर कहाँ निकल आए By Ghazal << मिज़ाज-ए-शहर जो तहरीर करन... कभी उतरें अगर पोशाक के रं... >> ख़्वाब ले कर कहाँ निकल आए तुम यहाँ राएगाँ निकल आए दिल यहाँ से उचाट हो जाता लोग कुछ मेहरबाँ निकल आए कौन निकला हवा की दस्तक पर थे हमीं ख़ुश-गुमाँ निकल आए इक तिरे इश्क़ के हवाले से काम कितने यहाँ निकल आए Share on: