कड़ी मेहनत है या ये त्याग है या ये तपस्या है मैं अक्सर सोचती रहती हूँ मेरी ज़िंदगी क्या है अनुभव ज़िंदगी की सब से अच्छी पाठशाला है मगर कम्बख़्त उस की फ़ीस इतनी है कि तौबा है वो मुझ से कह रहा है इश्क़ है इक आग का दरिया तो फिर इस आग में तू कूद जा ना देखता क्या है तुम्हारे पास तो सब कुछ है बस इक मैं नहीं तो क्या मिरी आँखों की अँगनाई में इक यादों का मेला है किसी का कोई हो जाए नहीं अब फ़र्क़ पड़ता है ये दिल तो कल भी तन्हा था ये दिल तो अब भी तन्हा है नदी तालाब झरने और कुएँ हैं जिस के क़ब्ज़े में मगर हैरत ये है वो शख़्स अब भी कितना प्यासा है मिरी शोहरत मिरा सम्मान सब उस की नवाज़िश है मगर मैं सोचती हूँ 'अंजना' इस में मिरा क्या है