कहा मैं ने मिरी आँखों में पानी है जवाब आया मोहब्बत की निशानी है कहा मैं ने लगी दिल की बुझानी है जवाब आया ये जज़्बा जावेदानी है कहा मैं ने खिलेंगे कब वफ़ा के फूल जवाब आया अभी मौसम ख़िज़ानी है कहा मैं ने मोहब्बत मेहवर-ए-हस्ती जवाब आया बला-ए-ना-गहानी है कहा मैं ने कि हर लम्हा सिसकता हूँ जवाब आया कि उल्फ़त तो निभानी है कहा मैं ने सितम इतना नहीं अच्छा जवाब आया मोहब्बत आज़मानी है कहा मैं ने मता-ए-ज़ीस्त या'नी तू जवाब आया यहाँ हर चीज़ फ़ानी है कहा मैं ने कि देख इन सुर्ख़ आँखों में जवाब आया मोहब्बत आसमानी है कहा मैं ने कि क्यों इतने गुरेज़ाँ हो जवाब आया तुम्हारी मेहरबानी है कहा मैं ने मिरी ग़ज़लों की जाँ हो तुम जवाब आया तुम्हारी ख़ुश-गुमानी है कहा मैं ने ख़मोशी मार डालेगी जवाब उन का मुकम्मल बे-ज़बानी है कहा मैं ने सुनाओ हाल-ए-दिल 'राग़िब' जवाब आया बहुत लम्बी कहानी है