कहाँ कहाँ से गुज़र रहा हूँ मैं आँधियों में बिखर रहा हूँ किसी भी सूरत न चैन पाऊँ ये किस तजस्सुस में मर रहा हूँ मैं सुर्ख़ियों में कहाँ से होता मैं हाशिए की ख़बर रहा हूँ सभों को जाना है पार लेकिन मैं पार जाने से डर रहा हूँ न मेरी मंज़िल न कोई जादा अज़ल से गर्द-ए-सफ़र रहा हूँ मुझे तो मरना था ग़म में 'फ़िक्री' मैं ग़म में जल कर निखर रहा हूँ