कहाँ सुकून है दुनिया में ज़िंदगी के लिए By Ghazal << मुझे कुछ और ही मंज़र दिखा... झाँक कर रौज़न-ए-दीवार के ... >> कहाँ सुकून है दुनिया में ज़िंदगी के लिए हज़ार रंज-ओ-मसाइब हैं आदमी के लिए उसे भी कातिब-ए-तक़दीर का मज़ाक़ कहें कि ग़म किसी के लिए है ख़ुशी किसी के लिए किसी की बज़्म अँधेरों से आश्ना भी नहीं कोई ग़रीब तरसता है रौशनी के लिए Share on: