कहाँ तलाश करें नक़्श-ए-आशियाना कोई ये शहर जैसे बड़ा सा है क़ैद-ख़ाना कोई सो अपनी हिजरत-ए-पैहम का बस जवाज़ है ये परिंदे ढूँडते रहते हैं आब-ओ-दाना कोई मआल-ए-इश्क़ पता है उसे मगर फिर भी तलाश लेता है हर बार दिल बहाना कोई अजब तिलिस्म है जो वक़्त खो गया है कहीं हुआ है लाद के दिन रात को रवाना कोई खिले हैं फूल सबा चार सू है महकी हुई चमन से गुज़रा था क्या हुस्न-ए-काफ़िराना कोई कभी तो हज़रत-ए-नासेह भी दिल कुशाद करें कभी तो मशवरा दें हम को मुख़्लिसाना कोई अजीब लोग हैं नींदें अजीब हैं इन की जगा सका न 'क़मर' इन को ताज़ियाना कोई