कहीं से तीर जो आया कमान से पहले परिंदा ज़ख़्मी हुआ है उड़ान से पहले जहाँ भी हो वो गुज़र के यहीं से जाएगी मिरा मकान है उस के मकान से पहले ख़ुदा के हुक्म से पहले नहीं मरूँगा मैं नमाज़ होती नहीं है अज़ान से पहले मिरे मकान को ग़ुर्बत ने कर दिया तक़्सीम बरामदा था यहाँ इस दुकान से पहले निगाह मिलने न पाई कि दिल में दर्द उठा मैं कामयाब हुआ इम्तिहान से पहले