लम्हा लम्हा बिखरा हूँ सदियों का अफ़्साना हूँ नाम है मेरा ख़ूँ लेकिन पानी से भी सस्ता हूँ तुम एहसास से बे-परवा मैं एहसास का मारा हूँ तुम मोती हो गौहर हो मैं आँसू का क़तरा हूँ है कोई क्या मुझ जैसा हंगामों में तन्हा हूँ इश्क़ से रिश्ता है लेकिन अक्सर उस से डरता हूँ और मुझे रुस्वा न कर वैसे ही मैं रुस्वा हूँ तुम मुझ से बेगाना नहीं मैं ख़ुद से बेगाना हूँ तुम छू कर मोती कर दो मैं पत्थर का टुकड़ा हूँ