कैफ़ियत इक नई तश्कील हुई जाती है वो जो बंजर था वहाँ झील हुई जाती है बारहा आप से मिलना कि ख़ुदा ख़ैर करे उन्सियत इश्क़ में तहलील हुई जाती है कोई चुपके से सजा आया है उल्फ़त के गुलाब ख़ुशबू ख़ुशबू मिरी ज़म्बील हुई जाती है जिस पे ख़ुश-रंग सी तस्वीर सजा दी गई हो ज़ीस्त दीवार की वो कील हुई जाती है पहली बारिश की फुवारों का असर है शायद यास अब आस में तब्दील हुई जाती है दिल हमारा भी हुआ जाता है जलता हुआ 'दीप' आप की ज़ात जो क़िंदील हुई जाती है