कल चाक होते होते गरेबान रह गया माने थे यार मुझ को कहा मान रह गया क्या जी में आई ध्यान तिरा किस तरफ़ गया क्यों बात करते करते मिरी जान रह गया मैं ने कमी न की थी यहाँ जान देने में तू आ गया ये कहने को एहसान रह गया देखा न तुझ को यार दम-ए-वापसीं तलक अफ़सोस यार दिल ही में अरमान रह गया सूरत बनी है ग़म से अजब जिस ने की नज़र 'फ़िद्वी' को तेरे देख के हैरान रह गया