क़लम से निकले या मेरे ख़याल से निकले कोई जवाब तो अब इस सवाल से निकले बहुत कठिन था बुलंदी पे इतना रह पाना ख़ुदा का शुक्र कि हम इस कमाल से निकले मिरे हुनर पे बहुत क़र्ज़ है तिरा हमदम तमाम शे'र तुम्हारे ख़याल से निकले मैं और इस से ज़ियादा भी क्या गिरूँ 'वाहिद' कोई उरूज तो अब इस ज़वाल से निकले