रतजगे में भी इक ख़ुमारी है ख़्वाब हल्का है नींद भारी है देखो किस का नसीब बदलेगा साँप ने केंचुली उतारी है होश-मंदों के इस ख़राबे में हम दीवानों का रक़्स जारी है अब उसे कौन देख सकता है हम ने उस की नज़र उतारी है ख़्वाब का दाम हम लगाएँगे उम्र इक जागते गुज़ारी है अब तो शादी की फ़िक्र है उस की एक गुड़िया से इश्क़ जारी है ये जुनूँ ठीक है मगर 'वाहिद' होश की अपनी ज़िम्मेदारी है