काली ग़ज़ल सुनो न सुहानी ग़ज़ल सुनो मौसम ये कह रहा है कि धानी ग़ज़ल सुनो जागा वो दर्द दिल में कि आँसू निकल पड़े बरसा है आज टूट के पानी ग़ज़ल सुनो अफ़साना-ए-जुनूँ नहीं पाबंद-ए-माह-ओ-साल याद आ रहा है दौर-ए-जवानी ग़ज़ल सुनो अपनी तमाम अक़्ल-परस्ती के बावजूद ये ज़िंदगी है अब भी दिवानी ग़ज़ल सुनो यूँ तो सुख़न के और भी पैराए हैं मगर कहनी है हम को दिल की कहानी ग़ज़ल सुनो हों ज़ख़्म-ए-इश्क़ या कि ज़माने के दर्द-ओ-दाग़ हर ग़म यहाँ है दुश्मन-ए-जानी ग़ज़ल सुनो ख़ून-ए-जिगर में फ़िक्र की गहराइयाँ भी हैं गर है मिज़ाज-ए-फ़ल्सफ़ा-दानी ग़ज़ल सुनो सर पर हवा-ए-संग-ए-मलामत चली बहुत लेकिन ग़ज़ल ने हार न मानी ग़ज़ल सुनो ज़ेब-ए-शफ़क़ है नौ-ए-बशर का लहू 'सहर' हर शय है इस जहान की फ़ानी ग़ज़ल सुनो