काम कितना है ज़िंदगानी में और वो बुलबुला है पानी में पल में शो'ला तो पल में है शबनम रंग कितने हैं यार-ए-जानी में कौन कहता है हम नहीं होंगे हम जिएँगे तिरी कहानी में आँख क्या भेद खोल देती है कितने क़िस्से लिखे हैं पानी में इतनी उम्मीद ले के बैठे हो कौन जीता है दार-ए-फ़ानी में वाइ'ज़-ए-ख़ुश-बयान सब तस्लीम कौन ताइब हुआ जवानी में उस का शो'ला-बदन मआ'ज़-अल्लाह आग लग जाए ठंडे पानी में वक़्त-ए-रुख़्सत 'नदीम' दो आँसू होंट पर रख दिए निशानी में