काँटा सा मेरे जिस्म की गहराइयों में था एहसास-ए-कर्ब रात की तन्हाइयों में था हर सम्त क़त्ल-ओ-ख़ून का बाज़ार था मगर अम्न-ओ-अमाँ का ज़िक्र भी दानाइयों में था हम को क़फ़स के कुंज में ये भी पता चला उस का पयाम सुब्ह की पुरवाइयों में था पिन्हाँ नहीं था सिर्फ़ मुलाक़ात का बयाँ हिज्राँ का कुछ मलाल भी शहनाइयों में था सस्ती कहाँ थी शहर-ए-निगाराँ में कोई शय जल्वा भी उस के हुस्न का महँगाइयों में था दामन झटक के किस लिए महफ़िल से उठ गए 'मसऊद' भी तो आप के शैदाइयों में था