महफ़िल में गुफ़्तुगू का बहाना नहीं मिला बे-नाम ख़्वाहिशों का फ़साना नहीं मिला हम ने गुज़ारी रात सितारों की छाँव में हम को तिरे नगर में ठिकाना नहीं मिला मिट्टी के कुछ मकान मुझे सर-निगूँ मिले ढूँडा मगर खंडर में ख़ज़ाना नहीं मिला वो कश्तियों के रुख़ को बदलते भी किस तरह दरिया-ए-ज़िंदगी का दहाना नहीं मिला कुछ इस तरह जले हैं फ़सादात में मकाँ 'मसऊद-जाफ़री’ का ठिकाना नहीं मिला