कर दुआएँ कि दुआओं में असर होता है मेहनती हाथ के हिस्से में समर होता है अब फ़क़ीरों को वही टाल दिया करते हैं माल-ओ-दौलत से भरा जिन का भी घर होता है आधा पानी हो घड़े में तो छलकता है बहुत झुक ही जाता है जो फलदार शजर होता है इन चटानों को बदल देता है फ़न-पारों में मेहरबाँ जिन पे भी वो जान-ए-हुनर होता है मुंतज़िर बैठे हैं रस्ते में बिछा कर आँखें देखना ये है कि कब उन का गुज़र होता है ज़ुल्म की आग को इतना न हवा दो 'अंजुम' काँप उठती है ज़मीं ज़ुल्म अगर होता है