करेगा क़द्र जो दुनिया में अपने आने की उसी की जान को लज़्ज़त मिलेगी जाने की न पूछो बैठा हूँ क्यों हाथ पर मैं हाथ धरे उठूँगा नब्ज़ ज़रा देख लूँ ज़माने की मज़ा भी आता है दुनिया से दिल लगाने में सज़ा भी मिलती है दुनिया से दिल लगाने की गुहर जो दिल में निहाँ हैं ख़ुदा ही दे तो मिलें उसी के पास है मिफ़्ताह इस ख़ज़ाने की