करूँ क्या ग़म कि दुनिया से मिला क्या किसी को क्या मिला दुनिया में था क्या ये दोनों मसअले हैं सख़्त मुश्किल न पूछो तुम कि मैं क्या और ख़ुदा क्या रहा मरने की तय्यारी में मसरूफ़ मिरा काम और इस दुनिया में था क्या वही सदमा रहा फ़ुर्क़त का दिल पर बहुत रोए मगर इस से हुआ क्या तुम्हारे हुक्म के ताबे' हैं हम सब तुम्हीं समझो बुरा क्या और भला क्या इलाही 'अकबर'-ए-बेकस की हो ख़ैर ये चर्चे हो रहे हैं जा-ब-जा क्या