करता हूँ तेरे ज़ुल्म से हर बार अल-ग़ियास यक बार तेरे दिल में नहीं कार अल-ग़ियास तेरी निगह को देख के गर्दिश में आसमान करता फिरे है शोबदा दव्वार अल-ग़ियास मग़रूर हुस्न का है तुझे ये कहाँ ख़बर यानी कि कौन है पस-ए-दीवार अल-ग़ियास 'सौदा' मैं कहता हूँ कि ये परहेज़ इश्क़ से रुस्वा है क्यूँ तू कूचा ओ बाज़ार अल-ग़ियास