कटा-फटा था मरम्मत किया गया हूँ मैं उधेड़ने के लिए फिर सिया गया हूँ मैं पड़ा फ़ुज़ूल था क़ुदरत के कार-ख़ाने में इसी लिए ही तो ख़ुद को दिया गया हूँ मैं निगलना जब हुआ मुश्किल मिरी हक़ीक़त को तो कड़वे घूँट की सूरत पिया गया हूँ मैं मिरी कहानी का तो ख़ुद ख़ुदा मुसन्निफ़ था किसी कहानी से कैसे लिया गया हूँ मैं मिरा जन्म था किसी और ही ज़माने का फिर इस ज़माने में कैसे जिया गया हूँ मैं अमानतों में ख़यानत किया नहीं करते हवा के हाथ पे रख कर दिया गया हूँ मैं