कौन है रहबर कौन है रहज़न मैं भी सोचूँ तू भी सोच चाक किया है किस ने दामन मैं भी सोचूँ तू भी सोच लड़ते क्यों हैं शैख़-ओ-बरहमन मैं भी सोचूँ तू भी सोच कैसे हो मज़बूत ये बंधन मैं भी सोचूँ तू भी सोच एक ही बाग़ के फूल हैं जब हम फिर ये किस की साज़िश से ज़द में ख़िज़ाँ की है ये गुलशन मैं भी सोचूँ तू भी सोच दिल की बात जो पूछो हम से सब कुर्सी के झगड़े हैं कैसे हो अब दूर ये उलझन मैं भी सोचूँ तू भी सोच फूल ही फूल थे जब हाथों में फिर किस हाथ के पत्थर ने चूर किया है दिल का दर्पन मैं भी सोचूँ तो भी सोच देख के अपने देश की हालत ख़ून के आँसू रोते हैं तेज़ हुई क्यों दिल की धड़कन मैं भी सोचूँ तू भी सोच 'शौक़' सवेरा कब आयेगा कैसे मिल कर लोग रहें असलम डेविड देवकी नंदन मैं भी सोचूँ तू भी सोच